*दोस्त,*
हम सब परमात्मा की सर्वोत्कृष्ट रचना यानि मनुष्य के रूप में इस संसार मे है। हमारा शरीर जब बीमार होता है तो हम दवाइयां लेते है और खुद को स्वस्थ करने की कोशिश करते है।कभी महसूस किया है आपने ठीक इसी तरह हमारा मन,और आत्मा भी बीमार हो सकती है और होती ही है पर हैरानी की बात तो यह है कि शरीर की बीमारी को ठीक करने में तो हम अपना जी जान लगा देते है लेकिन हमें ये पता भी नही चल पाता की हम अपनी आत्मा से बीमार है या हमारा मन ही स्वस्थ नही है‼⁉
*कैसे पता चलेगा कि मैं मन और आत्मा से Healthy हूँ---❕❕❕❕❕❕❕❕❕❕❕*
*दोस्त---*
➖यदि सुबह-सुबह आप पूरे *सकारात्मक ऊर्जा से ऊर्जित* हो, *नींद खुले तो चेहरे पर मुस्कुराहट* हो,जब *मन मे उल्लास* हो कि *एक और दिन जीने को मिला* ...इसके लिए *ईश्वर के प्रति Gratitude* हो...जब पंछियों की आवाज़-- *संगीत* ,पेड़ों का हिलना-- *नृत्य* लग रहा हो और *खुद के पॉव थिरकने को मन* कर रहा हो तो.... *समझ लो कि मैं स्वस्थ्य हूँ।*
यदि मन में दु:खी या निराश के भाव हो,विश्वास खोता जा रहा हो...सिर्फ जीवन जी रहे हो और आत्मा कही न कही से कमजोर पड़ रही है तो समझ लेना कि अस्वस्थ है आप....⁉
*There are many ways to heal your Spirit.All these you can do by yourself and keep yourself in cheerful and confident state.There are so many ways to keep your soul Healthy---------*
*💧Do any act of kindness with any known or unknown person without any Expectation.*
When we complete any kind Act it activates pleasing centre of our brain and it produces biochemical reaction.It is a spirit based reaction which heals your spirit.
आप किसी के लिए कुछ भी,बिना Expectation के अच्छा करके देखे, आपको खुशी और सुकून मिलेगा, जिसका असर आपकी आत्मा और मानसिक स्थिती पर पड़ेगा।
*जैसे--किसी भूखे इंसान को खाना खिलाकर देखिये।आपको असीम आत्मिक सुख की अनुभूति होगी।*
*💧कुछ समय प्रकृति के सानिध्य में बिताए।*
सुबह-सुबह उठकर सूरज को उगते हुए देखे...कुछ पल के लिए पेड़ के नीचे या फूलो के बीच बैठकर अपने सांसों के एकात्म हो जाये।दोस्त,आपके मन और आत्मा की थकावट दूर हो जाएगी क्योंकि प्रकृति हमे सिर्फ देती ही है, लेती कुछ नही ।
*💧प्रतिदिन कुछ समय एकांत में 【अकेले में नही】 जरूर बिताए।*
मौन रह कर आत्म विश्लेषण करें, चिंतन करे पर चिंता न करे ।
*💧Prayer या Meditation जरूर करे।*
10 min के लिए ही सही...ध्यान या पूजा जो हो.....बस ऐसा कुछ,जिसमें किसी की कोई सहभागिता न हो, बस आप और आपका ईश्वर (परमतत्व, गुरु) ।
आप अपने केंद्र या अंदर की तरफ जाए और आंतरिक रूप से स्वस्थ हो।
*दोस्त,प्रकृति जो खुशियां लुटा रही है उसने भागीदार बने।मैं हमेशा आपके साथ हूँ----विंध्यवासिनी पाण्डेय*
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Have A Nice Day
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