Monday, 12 August 2019

Ear ache

कान दर्द के घरेलू उपचार

सर्दी या बरसात के मौसम में कान के रोग हो जाते है। अगर इनका समय से इलाज नहीं किया गया तो सुनने की शक्ति पर असर पड़ सकता है। सर्दी ,लगातार तेज और कर्कश ध्वनि, कान में चोंट, कान में कीडा घुसना या संक्रमण,कान में अधिक मैल जमा होना या नहाते समय कान में पानी प्रविष्ठ होना इनमें से किसी भी कारण से कान में रोग हो सकता है। अगर आपको भी कान के दर्द की समस्या सता रही है तो अपनाएं ये उपाय।

*अदरख का रस निकालकर दो बूँद कान में टपका देने से भी कण के दर्द एवं सूजन में लाभ मिलता है।

*लहसुन की दो कलीयों को अच्छी तरह से पीसकर इसमें एक चुटकी नमक मिलाकर वूलेन कपडे से बनायी गयी पुल्टीस को दर्द वाले हिस्से पर रखें ,जल्दी ही दर्द में आराम होगा।

*10 मिलि तिल के तेल में 3 लहसुन की कली पीसकर इसे किसी बर्तन में गरम करें।फिर छानकर शीशी में भरलें। इसकी 4-5 बूंदें जिस कान में समस्या हो उसमें टपका दें।कान दर्द में लाभ प्रद नुस्खा है।

*जेतुन का तेल हल्का गरम करके कान में डालने से भी कान के दर्द में राहत मिलती है।

*प्याज का रस निकाल लें,अब रुई के फाये को इस रस में डुबोकर इसे कान के उपर निचोड़ दें ,इससे कान में उत्पन्न सूजन,दर्द , एवं संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।

*तुलसी की ताज़ी पतियों को निचोड़कर दो बूँद कान में टपकाने से कान दर्द से राहत देता है।

*पांच ग्राम मैथी के बीज को एक बडा चम्मच तिल के तेल में गरम करें। फिर इसे छानकर शीशी में भर लें। अब इसे 2 बूंद दूध के साथ कान में टपकादें। कान पीप का यह बहुत ही कारगार इलाज माना जाता है।

*अदरक के रस में नींबू का रस मिलाएं और इसकी चार पांच बूंदें कान में डालें। आधे घंटे के बाद कान को रुई से साफ कर दें।

*दो या तीन बूँद सरसों का तेल कान में डालने से कान के संक्रमण में तुरंत लाभ मिलता है।

*अपने भोजन में अधिक से अधिक विटामिन -सी युक्त पदार्थों जैसे :अमरुद ,नींबू ,संतरे ,पपीते अदि फलों का प्रयोग करें ये कान के दर्द को कम करने में लाभ देते है।

*केले की पेड की हरी छाल निकालें। इसे गरम करके सोते वक्त इसकी 3-4 बूंदें कान में डालें । कान दर्द की यह बहुत ही उम्दा दवा है।

*मुलहठी कान दर्द में उपयोगी है। इसे घी में भूनकर बारीक पीसकर पेस्ट बनाएं। फिर इसे कान में लगाएं। कुछ ही मिनिट में दर्द बिलकुल समाप्त होगा।

*एक मूली के बारीक टुकडे करके उसे सरसों के तेल में पकावें। फिर इसे छानकर शीशी में भर लें ।कान दर्द में इसकी 2-4 बूंदे दिन में 3-4 बार टपकाने से जल्दी ही आराम मिलता है।

*अजवाईन का तेल और तिल का तेल 1:3 में मिलाएं, इसे मामूली गरम करके कान में 2-4 बूंदे टपका दें। कान दर्द में यह बहुत उपयोगी है।

Snoring problems

*घरेलू उपायों की मदद से दूर करें खर्राटे*
क्या आप भी रात में खर्राटे लेने की समस्या से ग्रस्त हैं? तो इसे गंभीरता से लें। जीं हां नींद में खर्राटे लेने की आदत से आप न केवल अपने साथी की नाराजगी का शिकार हो सकते हैं, वरन इससे आपके शरीर पर अन्य बहुत से दुष्प्रभाव भी पड़ते हैं। खर्राटे की समस्या आजकल इतनी सामान्य हो गई है कि लोगों ने इसे अब बीमारी समझना ही छोड़ दिया गया है। हालांकि खर्राटे की समस्‍या को प्रारंभिक अवस्‍था में घरेलू उपायों की मदद से पूरी तरह से दूर किया जा सकता है। तो देर किस बात की अगर आप खर्राटों से हैं परेशान? तो यहां दिये रामबाण इलाज को अपनायें।

*2 हल्दी का इस्तेमाल*
हल्दी में एंटी-सेप्ट‍िक और एंटी-बायोटिक गुणों के कारण, इसके इस्तेमाल से नाक का रास्‍ता साफ हो जाता है जिससे सांस लेना आसान हो जाता है। रात को सोने से पहले रोजाना हल्‍दी का दूध पीने से खर्राटों की समस्‍या से बचा जा सकता है।

*3 ऑलिव ऑयल भी है फायदेमंद*
ऑलिव ऑयल एक बहुत ही कारगर घरेलू उपाय है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण की मौजूदगी श्वसन तंत्र की प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने में बहुत फायदेमंद होती है। साथ ही यह दर्द को कम करने में मदद करता है। एक आधा छोटी चम्‍मच ऑलिव ऑयल में सामान मात्रा में शहद मिलाकर, सोने से पहले नियमित रूप से लें। गले में कंपन को कम करने और खर्राटों को रोकने के लिए नियमित रूप से इस उपाय का प्रयोग करें। खर्राटों को रोकने के लिए योग 

*4 इलायची का सेवन*
इलायची सर्दी खांसी की दवा के रूप में काम करती हैं। यानी यह श्वसन तंत्र खोलने का काम करती है। इससे सांस लेने की प्रक्रिया सुगम होती है। रात को सोने से पहले इलायची के कुछ दानों को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पीने से समस्‍या से राहत मिलती है। सोने से पहले इस उपाय को कम से कम 30 मिनट पहले करें।

*5 पुदीने का तेल*
पुदीने में कई ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो गले और नाक के छिद्रों की सूजन को कम करने का काम करते हैं। इससे सांस लेना आसान हो जाता है। सोने से पहले पिपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदों को पानी में डालकर उससे गरारे करें। इस उपाय को कुछ दिन तक करने से आपको जल्‍द ही फर्क दिखाई देने लगेगा।

*6 लहसुन का प्रयोग*
लहसुन, नासिका मार्ग में बलगम के निर्माण और श्वसन प्रणाली में सूजन को कम करने में मदद करता है। अगर आप साइनस रुकावट के कारण खर्राटे लेते हैं तो, लहसुन आपको राहत प्रदान करता है। लहसुन में हीलिंग गुण होते है। जो ब्लॉकेज को साफ करने के साथ ही श्वसन-तंत्र को भी बेहतर बनाते है। अच्छी और चैन की नींद के लिए लहसुन का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद है। एक या दो लहसुन की कली को पानी के साथ लें। इस उपाय को सोने से पहले करने से आप खर्राटों से राहत पा चैन की नींद ले सकते हैं।

Chambal Kakora Sabji

चंबल के बीहड़ों में पाया जाने वाला ककोरा है दुनिया की सबसे ताकतवर सब्जी, कुछ दिन खाने से ही शरीर में दिखेगा जबरदस्त चमत्कार

आजकल के दौर में जंक फूड का इतना क्रेज बढ़ चुका है कि लोग अपने शरीर को जरूरी ताकत देनी वाली सब्जी, दाल का सेवन कम ही करते हैं. लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि कुछ सबज्यिां ऐसी होती हैं, जिन्हें कुछ दिन खाने पर ही इसका फायदा मिल जाता है. ऐसी ही एक सब्जी है कंटोला(ककोरा). यह दुनिया की सबसे ताकतवर सब्जी है. इसे औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है.

वजन घटाने में सक्षम: कंटोला(ककोरा) में प्रोटीन और आयरन भरपूर होता है जबकि कैलोरी कम मात्रा में होती है. यदि 100 ग्राम कंटोला की सब्जी का सेवन करते हैं तो 17 कैलोरी प्राप्त होती है. जिससे वजन घटाने वाले लोगों के लिए यह बेहतर विकल्प है.

कैंसर से बचाए : कंटोला (ककोरा) में मौजूद ल्युटेन जैसे केरोटोनोइडस विभिन्न नेत्र रोग, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर की रोकथाम में सहायक है.

पाचन क्रिया होगी दुरुस्त : अगर आप इसकी सब्जी नहीं खाना चाहते तो अचार बनाकर भी सेवन कर सकते हैं. आयुर्वेद में कई रोगों के इलाज के लिए इसे औषधि के रूप में प्रयोग करते हैं. यह पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

हाई ब्लड प्रेशर होगा दूर : कंटोला(ककोरा) में मौजूद मोमोरडीसिन तत्व और फाइबर की अधिक मात्रा शरीर के लिए रामबाण हैं. मोमोरेडीसिन तत्व एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडायबिटीज और एंटीस्टे्रस की तरह काम करता है और वजन और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है.

एंटी एलर्जिक : कंटोला(ककोरा) में एंटी-एलर्जन और एनाल्जेसिक सर्दी खांसी से राहत प्रदान करने और इस रोकने में काफी सहायक है.

#proudly_say_i_m_from_morena
#morena  #kailaras #sabalghar
#ambah #porsa  #chambal

Whose Kashmir

Whose Kashmir is it Anyway?

It is Rishi Kashyap's Kashmira

How this place got it's name...

Kashyap's Mira.. mira in Sanskrit means a huge lake, Sarovar.
Rishi Kashyap is one of the Saptarishis...seven sages of the present Vaivasvata Manvantara.
Those who belong to Kashyap Gotra are said to be the progenies of this rishi.
Prajapati Daksha gave away thirteen of his daughters in marriage to Kashyap rishi. Devatas, Danavas, Yakshas, Nagas etc, all are progenies of Kashyap.

There was a huge, beautiful lake amidst the Meru Parvat range.
Lord Shiva along with his consort Sati were very attracted by the beauty of the lake and were the regular visitors to the lake.
Kashyap presented this lake to Sati. The lake was then called Sati Sar.
A demon called Jalodbhava started residing in the lake and started terrorising the people around the lake. People living in the vicinity went to Kashyap complaining and sought help. Kashyap called his Naga son Ananta naga to plan a strategy to eliminate Jalodbhava. They decided to empty the lake and expose the demon and asked Lord Vishnu to destroy him.
Accordingly, a valley in the western side, called Varaha Mukh, (presently Bara mullah) was cut to let the lake water to drain off in to a land locked sea which then later called Kashyapa's sea (presently called Caspian sea). The demon then came out of the lake and Lord Vishnu killed him.

Partly emptied lake was then developed into a learning center for study of holy scriptures, Vedas, upanishads. The place developed into a rich city of cultural heritage and thus named Srinagar. Anantnag, the Naga son of Kashyap built an other city in the neighborhood of Srinagar which is now a district Headquarter Anantnag.

The entire Srinagar became very famous. Devi Gauri and Ganesh were the frequent visitors. The route through which they were using was known as "Gauri Marg"...the present day Gulmarg!
Based on Nilamata Purana, Kalhana wrote
" Rajatarangini" which is an historical authority on Kashmir. All over the world the researchers on Kashmir use this great work as reference.
The most simplified version of this book available in English is written by a British archeologist M A Stein. It is in three volumes.

Whose Kashmir is it Anyway?

Kashmir belongs to the Presiding Deity Devi Sharada.

"Namaste Sharada Devi, Kashmira pura vasini,
Tvamahe Prarthye nityam Vidya daanincha dehime".

Devi Sharada is addressed as 'Kashmira Pura Vasini'. The script for the Kashmir was once called 'Sharada", innumerable learning centers of Kashmir were called 'Sharada Peethas'.

The entire Kashmir was called "Sharada Desha" once!

Adi Shankaracharya visited Kashmir in the ninth century. Kashmir was then the prominent seat of Shaivism. Atop Gopaladri hill he Composed "Soundarya Lahari", expounding the union of Shiva and Shakti. This hill in Srinagar is now called Shankaracharya hill.

Shankaracharya also visited Sharada temple on the Banks of Krishna ganga river (now in PoK). He was so impressed with the beauty of the temple on the bank of the river, he got inspired to establish a similar temple in Sringeri on the Banks of Tunga river.
The sandalwood moola vigraha of Sharada in Sringeri was brought from Kashmir.

There is an interesting episode that occurred while Shankaracharya was traveling in Kashmir along with his disciples. A Kashmiri Pandit couple invited Shankaracharya to be their guest for couple of days. Shankaracharya agreed to be their guest on one condition that they prepare their own food. The couple slightly felt offended though, agreed and gave all the items required to prepare the food and retired for the day. They forgot to provide fire to cook. Shankaracharya told the disciples not to disturb them and slept without eating dinner.
Next day the couple got shocked on learning that they all didn't eat anything.
Disciples said that there was no fire
The lady took some water and sprinkled on the firewood. Lo and behold the wood caught fire instantly. This was a great revelation to Shankara. He realized that there is lot to learn from ordinary people of Kashmir.

In the 11th Century Ramanujacharya visited Kashmir. Here he wrote
"Sri Bhashya" based on Brahma Sutra which was available only in Kashmir. The book was shown to them only in the library and they were not allowed to make any notes.
Every day Ramanujacharya and his disciple Kurutthalwar would sit and read in the library remember word by word and come back to Sharada Peeth and reproduce in a book. This went on for three months and then finally "Sri Bhashya" was completed. This became the Moola grantha of Srivaishnavas.
Kashmir the Goddess of learning Sri Sharada appeared before Ramanuja and blessed him by presenting an icon of Hayagreeva.

Whose Kashmir is it Anyway?

Kashmir belongs to Bhattas..Pandits and scholars.
As per Nilamata Purana, Kashmir has a recorded history of over 5100 years. Entire population consisted of Hindus and Buddhists.
While the Islam was making forced entry elsewhere around the world, it was kept away from the western borders of India, thanks to brave Kings of Lohana dynasty. Lohanas were the great sword fighters in the army of king Lava. The present day Lahore was Lavapuri of Ramayan.

"Those who forget history are condemned to repeat it"

✍....Wing Commander Sudarshan🙏🌹🇮🇳👆🕉

Sunday, 11 August 2019

Jewellery must for women

#रामायण_के_अनुसार_नारी_गहने_क्यों_पहनती_हैं ?

भगवान राम ने धनुष तोड दिया था, सीताजी को सात फेरे लेने के लिए सजाया जा रहा था तो वह अपनी मां से प्रश्न पूछ बैठी, ‘‘माताश्री इतना श्रृंगार क्यों?’’
‘‘बेटी विवाह के समय वधू का 16 श्रृंगार करना आवश्यक है, क्योंकि श्रृंगार वर या वधू के लिए नहीं किया जाता, यह तो आर्यवर्त की संस्कृति का अभिन्न अंग है?’’ उनकी माताश्री ने उत्तर दिया था।
‘‘अर्थात?’’ सीताजी ने पुनः पूछा, ‘‘इस मिस्सी का आर्यवर्त से क्या संबंध?’’
‘‘बेटी, मिस्सी धारण करने का अर्थ है कि आज से तुम्हें बहाना बनाना छोड़ना होगा।’’
‘‘और मेहंदी का अर्थ?’’
मेहंदी लगाने का अर्थ है कि जग में अपनी लाली तुम्हें बनाए रखनी होगी।’’
‘‘और काजल से यह आंखें काली क्यों कर दी?’’
‘‘बेटी! काजल लगाने का अर्थ है कि शील का जल आंखों में हमेशा धारण करना होगा अब से तुम्हें।’’
‘‘बिंदिया लगाने का अर्थ माताश्री?’’
‘‘बेंदी का अर्थ है कि आज से तुम्हें शरारत को तिलांजलि देनी होगी और सूर्य की तरह प्रकाशमान रहना होगा।’’
‘‘यह नथ क्यों?’’
‘‘नथ का अर्थ है कि मन की नथ यानी किसी की बुराई आज के बाद नहीं करोगी, मन पर लगाम लगाना होगा।’’
‘‘और यह टीका?’’
‘‘पुत्री टीका यश का प्रतीक है, तुम्हें ऐसा कोई कर्म नहीं करना है जिससे पिता या पति का घर कलंकित हो, क्योंकि अब तुम दो घरों की प्रतिष्ठा हो।’’
‘‘और यह बंदनी क्यों?’’
‘‘बेटी बंदनी का अर्थ है कि पति, सास ससुर आदि की सेवा करनी होगी।’’
‘‘पत्ती का अर्थ?’’
‘‘पत्ती का अर्थ है कि अपनी पत यानी लाज को बनाए रखना है, लाज ही स्त्री का वास्तविक गहना होता है।’’
‘‘कर्णफूल क्यों?’’
‘‘हे सीते! कर्णफूल का अर्थ है कि दूसरो की प्रशंसा सुनकर हमेशा प्रसन्न रहना होगा।’’
‘‘और इस हंसली से क्या तात्पर्य है?’’
‘‘हंसली का अर्थ है कि हमेशा हंसमुख रहना होगा सुख ही नहीं दुख में भी धैर्य से काम लेना।’’
‘‘मोहनलता क्यों?’’
‘‘मोहनमाला का अर्थ है कि सबका मन मोह लेने वाले कर्म करती रहना।’’
‘‘नौलखा हार और बाकी गहनों का अर्थ भी बता दो माताश्री?’’
‘‘पुत्री नौलखा हार का अर्थ है कि पति से सदा हार स्वीकारना सीखना होगा, कडे का अर्थ है कि कठोर बोलने का त्याग करना होगा, बांक का अर्थ है कि हमेशा सीधा-सादा जीवन व्यतीत करना होगा, छल्ले का अर्थ है कि अब किसी से छल नहीं करना, पायल का अर्थ है कि बूढी बडियों के पैर दबाना, उन्हें सम्मान देना क्योंकि उनके चरणों में ही सच्चा स्वर्ग है और अंगूठी का अर्थ है कि हमेशा छोटों को आशीर्वाद देते रहना।’’
‘‘माताश्री फिर मेरे अपने लिए क्या श्रंृगार है?’’
‘‘बेटी आज के बाद तुम्हारा तो कोई अस्तित्व इस दुनिया में है ही नहीं, तुम तो अब से पति की परछाई हो, हमेशा उनके सुख-दुख में साथ रहना, वही तेरा श्रृंगार है और उनके आधे शरीर को तुम्हारी परछाई ही पूरा करेगी।’’
‘‘हे राम!’’ कहते हुए सीताजी मुस्करा दी। शायद इसलिए कि शादी के बाद पति का नाम भी मुख से नहीं ले सकेंगी, क्योंकि अर्धांग्नी होने से कोई स्वयं अपना नाम लेगा तो लोग क्या कहेंगे...
🙏 रामकिशोर भण्डारी प्रखण्ड शिक्षक सदर-दरभंगा बिहार 🙏

Saturday, 10 August 2019

Nehru is a muslim

*Q & A on 3 Former Indian Prime Ministers.*

Q1: Who is the lady by name Thussu Rahman Bai?
A: Mother of former Indian Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru.

Q2: Who is the father of Pandit Jawaharlal Nehru?
A: Mr. Mubarak Ali.

Q3: What is the relationship between Motilal Nehru and Jawaharlal Nehru?
A: Motilal Nehru is second husband of Thussu Rahman Bai, after the death of Mubarak Ali. Motilal was working as employee of Mubarak Ali and she is the second wife for him. So Motilal Nehru is step father of Jawaharlal.

Q4. Is Jawaharlal Nehru Kashmir Pandit by birth?
A: No. Both father and mother are muslims.

Q5. Did Jawaharlal Nehru's name got because of his step father?.
A. May be. I don't know. But Motilal himself is not Kashmir Pandit.

Q6. Who is the father of Motilal and how did Pandit got annexed with his name?
A: Motilal's father is Ghiyasuddin Ghazi's of Jamuna canal (Naher) who fled Delhi after Mutiny of 1857 and went to Kashmir.
There he decided to change his name to Gangadhar Nehru ('Nehri' became 'Nehru') and put Pandit in front of the name to give people no chance to even ask his caste. With a cap (topi) on his head Pandit Gangadhar Nehru moved to Allahabad.
His son Motilal completed a degree in Law and started working for a Law firm.

Q7: Who are the Parents of former Prime Minister Indira Gandhi?
A: Jawaharlal Nehru, a Muslim and  Kamla Kaul Nehru, a Kashmiri Pandit.

Q8: Who are the parents of former Prime Minister Rajiv Gandhi?
A:  Jehangir Feroz Khan (Persian Muslims) and Indira Priyadarshini Nehru alias Mamuna Begum Khan.

Indira Priyadarshini Nehru alias Mamuna Begum Khan-w/o Jehangir Feroz Khan (Persian Muslims), who later changed his name to Gandhi on advice of Mohandas K.  Gandhi.

They had Two sons Rajiv Khan (father Feroze Jehangir Khan) and Sanjeev Khan (name later changed to Sanjay Gandhi).

Q9. Are Jawaharlal Nehru (Former Prime Minister of India), Muhammed Ali Jinnaa (Former Prime Minister of Pakistan) and Sheikh Abdullah (Former Kashmir Chief Minister) interrelated to each other?

A: YES.
Mothers of the Three people mentioned above had same husband Motilal Nehru.
Jinnaa's mother is Motilal's 4th wife.
Abdulla is through Motilal's 5th wife.
So both had common father while their father Motilal is step father to Jawaharlal.

Q10. Where did you get all these answers, while I do not find any such info in History Books I studied?
A: From the Biography of MO Mathai (Jawaharlal Nehru's personal assistant).
👉 M. O. Mathai

*Let people know this Family has been cheating the people of India.*

Did muslims rule for 800 year's

जरूर पढ़ें

*भारत में मुसलमानो के 800 वर्ष के शासन का झूठ : श्री राजिव दीक्षित द्वारा-*

_*क्या भारत में मुसलमानों ने 800 वर्षों तक शासन किया है-*_
_सुनने में यही आता है पर न कभी कोई आत्ममंथन करता है और न इतिहास का सही अवलोकन। आईये देखते हैं, इतिहास के वास्तविक नायक कौन थे? और उन्होंने किस प्रकार मुगलिया ताकतों को रोके रखा और भारतीय संस्कृति की रक्षा में सफल रहे।_

_*राजा दाहिर : प्रारम्भ करते है मुहम्मद बिन कासिम के समय से-*_
_भारत पर पहला आक्रमण मुहम्मद बिन ने 711 ई में सिंध पर किया। राजा दाहिर पूरी शक्ति से लड़े और मुसलमानों के धोखे के शिकार होकर वीरगति को प्राप्त हुए।_

_*बप्पा रावल:*_ _दूसरा हमला 735 में राजपुताना पर हुआ जब हज्जात ने सेना भेजकर बप्पा रावल के राज्य पर आक्रमण किया। वीर बप्पा रावल ने मुसलमानों को न केवल खदेड़ा बल्कि अफगानिस्तान तक मुस्लिम राज्यों को रौंदते हुए अरब की सीमा तक पहुँच गए। ईरान अफगानिस्तान के मुस्लिम सुल्तानों ने उन्हें अपनी पुत्रियां भेंट की और उन्होंने 35 मुस्लिम लड़कियों से विवाह करके सनातन धर्म का डंका पुन: बजाया। बप्पा रावल का इतिहास कही नहीं पढ़ाया जाता। यहाँ तक की अधिकतर इतिहासकर उनका नाम भी छुपाते है। गिनती भर हिन्दू होंगे जो उनका नाम जानते हैं!_

*_दूसरे ही युद्ध में भारत से इस्लाम समाप्त हो चुका था। ये था भारत में पहली बार इस्लाम का नाश।_*

_*सोमनाथ के रक्षक राजा जयपाल और आनंदपाल:*_ _अब आगे बढ़ते है गजनवी पर। बप्पा रावल के आक्रमणों से मुसलमान इतने भयक्रांत हुए की अगले 300 सालों तक वे भारत से दूर रहे।_

_इसके बाद महमूद गजनवी ने 1002 से 1017 तक भारत पर कई आक्रमण किये पर हर बार उसे भारत के हिन्दू राजाओ से कड़ा उत्तर मिला। पहले राजा जयपाल और फिर उनका पुत्र आनंदपाल, दोनों ने उसे मार भगाया था।_

_महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर भी कई आक्रमण किये पर 17 वे युद्ध में उसे सफलता मिली थी। सोमनाथ के शिवलिंग को उसने तोडा नहीं था बल्कि उसे लूट कर वह काबा ले गया था। जिसका रहस्य आपके समक्ष जल्द ही रखता हु। यहाँ से उसे शिवलिंग तो मिल गया जो चुम्बक का बना हुआ था। पर खजाना नहीं मिला। भारतीय राजाओ के निरंतर आक्रमण से वह वापिस गजनी लौट गया और अगले 100 सालो तक कोई भी मुस्लिम आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण न कर सका।_

_*सम्राट पृथ्वीराज चौहान:*_ _1098 में मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज राज चौहान को 16 युद्द के बाद परास्त किया और अजमेर व दिल्ली पर उसके गुलाम वंश के शासक जैसे कुतुबुद्दीन, इल्तुमिश व बलवन दिल्ली से आगे न बढ़ सके। उन्हें हिन्दू राजाओ के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। पश्चिमी द्वार खुला रहा जहाँ से बाद में ख़िलजी लोधी तुगलक आदि आये। ख़िलजी भारत के उत्तरी भाग से होते हुए बिहार बंगाल पहुँच गए। कूच बिहार व बंगाल में मुसलमानो का राज्य हो गया पर बिहार व अवध प्रदेश मुसलमानो से अब भी दूर थे। शेष भारत में केवल गुजरात ही मुसलमानो के अधिकार में था। अन्य भाग स्वतन्त्र थे।_

_*राणा सांगा:-*_ _1526 में राणा सांगा ने इब्राहिम लोधी के विरुद्ध बाबर को बुलाया। बाबर ने लोधियों की सत्ता तो उखाड़ दी पर वो भारत की सम्पन्नता देख यही रुक गया और राणा सांगा को उसने युद्ध में हरा दिया। चित्तोड़ तब भी स्वतंत्र रहा पर अब दिल्ली मुगलो के अधिकार में थी। हुमायूँ दिल्ली पर अधिकार नहीं कर पाया पर उसका बेटा अवश्य दिल्ली से आगरा के भाग पर शासन करने में सफल रहा। तब तक कश्मीर भी मुसलमानो के अधिकार में आ चूका था।_

*_महाराणा प्रताप:-_*
  _अकबर पुरे जीवन महाराणा प्रताप से युद्ध में व्यस्त रहा। जो बाप्पा रावल के ही वंशज थे और उदय सिंह के पुत्र थे जिनके पूर्वजो ने 700 सालो तक मुस्लिम आक्रमणकारियों का सफलतापूर्वक सामना किया। जहाँगीर व शाहजहाँ भी राजपूतों से युद्धों में व्यस्त रहे व भारत के बाकी भाग पर राज्य न कर पाये।_

_दक्षिण में बीजापुर में तब तक इस्लाम शासन स्थापित हो चुका था।_

*_छत्रपति शिवाजी महाराज:_* _औरंगजेब के समय में मराठा शक्ति का उदय हुआ और शिवाजी महाराज से लेकर पेशवाओ ने मुगलो की जड़े खोद डाली। शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य का विस्तार उनके बाद आने वाले मराठा वीरों ने किया। बाजीराव पेशवा इन्होने मराठा सम्राज्य को भारत में हिमाचल बंगाल और पुरे दक्षिण में फैलाया। दिल्ली में उन्होंने आक्रमण से पहले गौरी शंकर भगवान से मन्नत मांगी थी कि यदि वे सफल रहे तो चांदनी चौक में वे भव्य मंदिर बनाएंगे। जहाँ कभी पीपल के पेड़ के नीचे 5 शिवलिंग रखे थे। बाजीराव ने दिल्ली पर अधिकार किया और गौरी शंकर मंदिर का निर्माण किया। जिसका प्रमाण मंदिर के बाहर उनके नाम का लगा हुआ शिलालेख है। बाजीराव पेशवा ने एक शक्तिशाली हिन्दुराष्ट्र की स्थापना की जो 1830 तक अंग्रेजो के आने तक स्थापित रहा।_

_*अंग्रेजों और मुगलों की मिलीभगत:*_
  _मुगल सुल्तान मराठाओ को चौथ व कर देते रहे थे और केवल लालकिले तक सिमित रह गए थे। और वे तब तक शक्तिहीन रहे। जब तक अंग्रेज भारत में नहीं आ गए। 1760 के बाद भारत में मुस्लिम जनसँख्या में जबरदस्त गिरावट हुई जो 1800 तक मात्र 7 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी। अंग्रेजो के आने के बाद मुसल्मानो को संजीवनी मिली और पुन इस्लाम को खड़ा किया गया, ताकि भारत में सनातन धर्म को नष्ट किया जा सके। इसलिए अंग्रेजो ने 50 साल से अधिक समय से पहले ही मुसलमानो के सहारे भारत विभाजन का षड्यंत्र रच लिया था। मुसलमानो के हिन्दु विरोधी रवैये व उनके धार्मिक जूनून को अंग्रेजो ने सही से प्रयोग किया तो यह झूठा इतिहास क्यों पढ़ाया गया?:-_
_असल में हिन्दुओ पर 1200 सालो के निरंतर आक्रमण के बाद भी जब भारत पर इस्लामिक शासन स्थापित नहीं हुआ और न ही अंग्रेज इस देश को पूरा समाप्त कर सके। तो उन्होंने शिक्षा को अपना अस्त्र बनाया और इतिहास में फेरबदल किये। अब हिन्दुओ की मानसिकता को बदलना है तो उन्हें ये बताना होगा की तुम गुलाम हो। लगातार जब यही भाव हिन्दुओ में होगा तो वे स्वयं को कमजोर और अत्याचारी को शक्तिशाली समझेंगे। इसी चाल के अंतर्गत ही हमारा जातीय नाम आर्य के स्थान पर हिन्दू रख दिया गया, जिसका अर्थ होता है काफ़िर, काला, चोर, नीच आदि ताकि हम आत्महीनता के शिकार हो अपने गौरव, धर्म, इतिहास और राष्ट्रीयता से विमुख हो दासत्व मनोवृति से पीड़ित हो सकें। *वास्तव में हमारे सनातन धर्म के किसी भी शास्त्र और ग्रन्थ में हिन्दू शब्द कहीं भी नहीं मिलता बल्कि शास्त्रो में हमे आर्य, आर्यपुत्र और आर्यवर्त राष्ट्र के वासी बताया गया है। आज भी पंडित लोग संकल्प पाठ कराते हुए  "आर्यवर्त अन्तर्गते..."* का उच्चारण कराते हैं । अत: भारत के हिन्दुओ को मानसिक गुलाम बनाया गया जिसके लिए झूठे इतिहास का सहारा लिया गया और परिणाम सामने है।_

_*लुटेरे और चोरो को आज हम बादशाह सुलतान नामो से पुकारते है उनके नाम पर सड़के बनाते है।* शहरो के नाम रखते है और उसका कोई हिन्दू विरोध भी नहीं करता जो बिना गुलाम मानसिकता के संभव नहीं सकता था। इसलिए उन्होंने नई रण नीति अपनाई। इतिहास बदलो, मन बदलो और गुलाम बनाओ। यही आज तक होता आया है। जिसे हमने मित्र माना वही अंत में हमारी पीठ पर वार करता है। इसलिए झूठे इतिहास और झूठे मित्र दोनों से सावधान रहने की आवश्यकता है।_

_*इस लेख को अधिक से अधिक जनता तक पहुंचाएं। हमें अपना वास्तविक इतिहास जानने का न केवल अधिकार है अपितु तीव्र आवश्यकता भी, ताकि हम उस दास मानसिकता से मुक्त हो सकें जो हम सब के अंदर घर कर गयी है, ताकि हम जान सकें की हम कायर और विभाजित पूर्वजों की सन्तान नहीं, हम कर्मठ और संगठित वीरों की सन्तान हैं।*
जय भवानी 🚩
जय हिंदु राष्ट्र ✊🏻